जयशंकर प्रसाद जी की कृतियां

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कर्म सर्ग भाग-1 कर्मसूत्र-संकेत सदृश थी सोम लता तब मनु को चढ़ी शिज़नी सी, खींचा फिर उसने जीवन धनु को। हुए अग्रसर से मार्ग में छुटे-तीर-से-फिर वे, यज्ञ-यज्ञ की कटु पुकार ...

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